हर दर्द की दवा है वक़्त
हर गुनाह की सजा है वक़्
तमेरा मानना है ख़ुदा है ही नही
अगर है तो ख़ुदा है वक़्त
हम वक़्त के अंदर है या
हमारे अंदर है वक़्त
आशमा है ,धरती है या
बहता समंदर है वक़्त
वक़्त ने मिट्टी कर दिया
वक़्त के बादशाहो को
वक़्त ने माफ़ नहीं किया
किसी के भी गुनाहों को
वक़्त ही मुफलिसी है
वक्त सबसे बड़ी अमीरी है
वक्त शहंशाहो का ताज है
वक़्त कबीर की फकीरी है
पत्थर सा मासूम पानी सा सख्त है
इम्तिहाँ है परिणाम है क्या वक़्त है ?
जिंदगी के सज़दे करते जा रहे है
जीते जा रहे है मारते जा रहे है ।
सच पूछो तो वक़्त ठहरा हुआ है
हम ही है जो गुजरते जा रहे है ।