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कविता

Nete Ji

मैं नेता जी बोल रहा हूँ,
सुनो जनता की टोली जी
एक बात ध्यान से सुनना
स्वार्थ से लबालब भरी है मेरी झोली जी

शायद राजसत्ता मिल जाये तो
परख लेना मेरी बोली जी
नही मिल पाये तो
चलवाऊ गोली जी

मैं जनता का नब्ज टटोला
है मेरी जनता भोली जी
लेकिन चुनाव के वक्त वह
याद सदैव रखती है
किसे लगाना है चंदन रोली जी

किसके घर ईद मनेगा
कहाँ मुहर्रम होली जी
मैं जनता का क्या नब्ज टटोलू
जनता ने नब्ज टटोली जी…

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