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तुम्हे क्या जवाब दूँ

कमल या फूल गुलाब दूं?
मैं सोचता हूं,तुम्हें क्या खिताब दूं?
हवा को कह दूं झूमें तेरे आने पर?
फूलों की बरसात उनके साथ दूं?
मैं सोचता हूं तुम्हें क्या जवाब दूं…?

पाँती लिखूं या ईमेल से तार दूं?
पढ़-पढ़ के जो दिल न भरे,ऐसी कुछ सौगात दूं?
सितारे बिखेर दूं चाँद के आर पार दूं?
मैं सोचता हूं तुम्हें क्या जवाब दूं…?

मेंहदी की खुशबू आँखों का छलकता प्यार दूं?
जो लब से कह न सकें,धड़कते दिल इज़हार दूं?
तुम आओ मेरे आगे ढूंढती नजरों का सलाम दूँ?
मैं सोचता हूं तुम्हें क्या जवाब दूं…?

सदियों की तड़प,खुद की बेख्याली,
जर्रे जर्रे में बसे तेरे खुशबू का हिसाब दूं?
तू चंदन,मै खुशबू,लिपटकर तुझको प्यार दूं?
मैं सोचता हूं तुम्हें क्या जवाब दूं…?

About author

नीतू झा जी अखंड भारत के संरक्षक के तौर पर कार्यरत हैं। प्रोफेशन एक फैशन डिजाइनर की है। साहित्यिक दुनिया में विश्व गाथा, अखंड भारत, स्पंदन, नारी तू कल्याणी, आदि किताबों एंव पत्रिकाओं में नीतू झा की कविताएं आ चुकी हैं।
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